बच्चे का संपूर्ण विकास घर के माहौल और बचपन के अनुभवों पर निर्भर करता है। इसके लिए पेरेंट्स को बढ़ते बच्चे की परवरिश के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए।
प्रोत्साहन और सकारात्मकता एक बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए बेहद अहम है। बाहरी दुनिया के प्रति धारणा बच्चों में उम्र में ही विकसित होती है। एक बच्चा कैसे सोचता है ,क्या देखता है और क्या सुनता है, वह अपने आसपास के हालात पर कैसे प्रतिक्रिया देता है आदि बातें उस की पूरी छवि का निमार्ण करती है। यदि एक बच्चे में चिंता तनाव, असंतोष और भय की भावना आने लगती है, तो वह चिड़चिड़ा रहने लगता है। उसका आत्मविश्वास भी कमजोर हो जाता है। कई शोध अध्यननों से पता चला है कि बड़ी संख्या में बच्चे कम उम्र में ही तनाव और चिंता का शिकार हो जाते हैं। बचपन के नकारात्मक अनुभवों के चलते उनकी सेहत पर जीवन भर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है।
बच्चे के तनाव और चिंता ग्रस्त होने की कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें किसी मुश्किल कार्य को करने के दौरान विपरीत स्थितियों का सामना करना भी शामिल है। बच्चा जब अपन स्कूल और ट्यूशन का काम समझने या पूरा करने में नाकाम रहता है तब भी उस में तनाव पैदा होने लगता है। वह प्रदर्शन करने व बेहतर बनने में खुद को असफल पाता है, क्योंकि उसकी तुलना में उसके साथियों के लिए ऐसा करना आसान होता है। इससे वह आत्मविश्वास खाने लगता है। बच्चों में आत्मविश्वास सृजन कुछ सरल तरीकों से किया जा सकता है-
बच्चों की तारीफ करें
आमतौर पर बच्चे हमेशा बहुत गर्व महसूस करते हैं, जब उनकी तारीफ की जाती है। वे तारीफ बटोरने के लिए कुछ ना कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। इसलिए, अपने बच्चे की हमेशा तारीफ करें, बस यह तारीफ झूठी नहीं होनी चाहिए। जब भी वह कुछ नया करता है, तो उसे अच्छा और प्रेरित महसूस कराइए। यदि वह किसी कार्य में असफल हो जाता है तो डांट-फटकार करने से बचें और उसे अधिक प्रयास करने और लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें। साथ ही ये भी ख्याल रखें कि किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती, इसलिए हर चीज में संतुलन बनाएं रखें।
एक रोल मॉडल बनें
बच्चे दूसरों से सीखते हैं और उनका पहला स्कूल उनका घर होता है, इसलिए जब वे आपको काम करते हुए देखते हैं तो इससे वे प्रेरित होते हैं और दिन भर के काम में आपका हाथ बंटाते हैं। वे ये सब इसलिए भी करते है, क्योंकि वो आपको अपना आदर्श मानते हैं।
जिम्मेदारी दें
आप अपने बच्चे को छोटी-मोटी जिम्मेदारी दें। जब उसे कोई जिम्मेदारी का काम दिया जाता है, तो वह बहुत खुश होते हैं, उनमें नई ऊर्जा का प्रवाह होता है।
हार मत मानो
जीवन हमेशा एक सा नहीं रहता, इसलिए हमेशा उन्हें हर चीज के लिए तैयार करें, चाहे वो सफलता हो या असफलता। बच्चों को हमेशा हार ना मानने और लगातार प्रयास करते रहना सीखाएं। आपका यह प्रयास जीवनभर उनकी मदद करेगा और उन्हें सभी नकारात्मक परिस्थितयों से निपटने में मदद मिलेगा।
प्रोत्साहित करें
बच्चे विभिन्न गतिविधियों में भाग लेकर बहुत खुश और ऊर्जावान महसूस करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आत्मविश्वास भी बढ़ता है। जब हम कुछ अच्छा करते हैं तो यह अपने-आप हमारे व्यवहार में दिखने लगता है, इसलिए आपको अपने बच्चे की ताकत के साथ-साथ कमजोरियों को जानने के लिए विभिन्न गतिविधियों को करना चाहिए।
पसंद चुनने का अधिकार दें
चुनाव करने की क्षमता, बच्चों में आत्मविश्वास को बढ़ाती है। जैसे कि उन्हें मौसम के अनुसार क्या खाना या पहनना चाहिए, उन्हें खुद तय करने दें। कम से कम उन्हें अपनी पसंद-नापसंद की जिम्मेदारी लेने दें। जब वे निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते हैं, तो यह अपने आप उनमें आत्मविश्वास पैदा करता है।
निस्वार्थ प्यार दें
बच्चों को बताएं कि आपका प्यार उनके लिए बिना शर्त है, चाहे फिर वे सफल हों या असफल। वास्तव में उनके साथ हमेश खडे़ रहें, उन्हें अच्छी चीजें करने के लिए प्रेरित करें। बच्चे आपके प्यार और गुस्से को आसानी से समझ सकते हैं, इसलिए उनके लिए हमेशा रहें, इससे वे प्रेरित रहेंगे। आपकी डांट-फटकार उन्हें आक्रामक बना सकती है।